Rishabh Pant आख़िर क्यों रन-आउट होना चाह रहे थे?




ऋषभ पंत को बयान कर पाना मुश्किल है। अगर ये बंदा रिकॉर्ड के लिए खेलता तो टिम साउथी पर ९० पार होने के बाद वो छक्का नहीं मारता जो उसने मारा। छक्का भी ऐसा वैसा नहीं। बल्कि छक्कों का बाप। नई गेंद को, टिम साउथी के ख़िलाफ़, जिसने 100 से ज़्यादा टेस्ट खेले हैं, ऑफ-स्टंप से उठा के लौंग ऑन बाउंड्री के ऊपर, दर्शक दीर्घा से ऊपर, और फिर स्टेडियम की छत से भी ऊपर पहुँचाना, ये कोई बिरला ही कर सकता है। ऋषभ पंत ऐसे ही बिरले हैं। इस क्रिकेटर को आप किसी भी परिभाषा में बांध नहीं सकते हैं। रिकॉर्ड के लिए तो बिलकुल ही नहीं खेलते हैं। नहीं तो अब तक वो सात बार जब वो 90 को पार करके भी शतक ना लगा पाये, ये ना हो रहा होता। फिर भी उनका रिकॉर्ड, आप ताज्जुब करेंगे, महेंद्र सिंह धोनी से भी बेहतर है। पंत ने सिर्फ़ 35 टेस्ट मैच खेले हैं। धोनी ने 90। दोनों के छह-छह शतक हैं। अगर पंत ने वो एक रन ले लिया होता तो उनके सात  शतक हो गये होते और वो धोनी से आगे निकल गये होते। फिर भी पंत से ज़्यादा तेज़ 2500 रन टेस्ट क्रिकेट में किसी भी इंडिया के विकेटकीपर-बैट्समैन ने नहीं बनाये हैं। धोनी ने भी नहीं। पंत ने इसके लिए सिर्फ़ 62 पारियों खेली हैं। धोनी को इसके लिए 69 पारियाँ खेलनी पड़ी थी। पंत की क्रिकेट की समझ विलक्षण हैं। फिर भी मैदान पर वो कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे उनके फैन्स की साँस रुक जाती है। अब इस पारी को ही देख लीजिए। छह रन पर थे जब सरफ़राज़ ने एक गेंद थर्ड मैन पर खेली। एक रन दोनों ने पूरा किया और ऋषभ फिर दूसरे रन के लिये मुड़े। उधर नोन-स्ट्राइकर पर सरफ़राज़ रन के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थे। सरफ़राज़ ने चिल्लाना शुरू किया नहीं, नहीं। फिर भी पंत ने ना उनकी तरफ़ देखा ना सुना। फिर सरफ़राज़ ने पिच पर उछालना कूदना शुरू किया। फिर भी असर नहीं। फिर आख़िर में ऋषभ पंत चेते और क़िस्मत ने साथ दिया और रन आउट होने से बच गये। बाद में सरफ़राज़ ने पंत से कहाँ की भाई सुनाई नहीं दे रहा था तो कम से काम आँख तो मिलाते और देख पाते कि मैं दूसरा रन लेने के लिए बिलकुल तैयार नहीं हूँ। पंत कुछ ऐसे ही अजूबा हैं। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की तेज पिचें हों। या इंडिया की स्पिन लेती हुई। पंत हर जगह अपने ही अन्दाज़ से रन बनाते हैं। गेंदबाज़ों को फोड़ना ही उनका मिशन रहता है। उनकी रक्षात्मक तकनीक भी असाधारण है। दूसरी पारी में उनके 91 रन सिर्फ़ 105 गेंदों में आये जिसमें नौ चौके और पाँच छक्के थे। इसमें शायद अब कोई शक नहीं है कि अगर ऋषभ पंत अगर अगले १० साल क्रिकेट खेल गये, तो उनसे बड़ा विकेटकीपर बैट्समैन इतिहास में नहीं हुआ होगा। इण्डियन क्रिकेट की ये ख़ुशक़िस्मती है कि ऋषभ हमारे पास है।